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द्वारा प्रदान किए जाने वाले कौशल पाठ्यक्रम विश्वविद्यालय अनुदान आयोग-समर्थित, डिजिटल विश्वविद्यालय का उपयोग उन छात्रों द्वारा किया जा सकता है, जिन्होंने कक्षा 12 की परीक्षा उत्तीर्ण की है, जिनके पास स्नातक की डिग्री है। यूजीसी ने पत्रिका डॉट कॉम को बताया कि इन पाठ्यक्रमों के सफलतापूर्वक पूरा होने से छात्रों को प्रमाणपत्र, डिप्लोमा और डिग्री प्राप्त होगी, जो चुने गए पाठ्यक्रम के प्रकार पर निर्भर करता है।
डिजिटल यूनिवर्सिटी की घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल फरवरी में 2022-23 के बजट के दौरान की थी। इसका संचालन अगले साल अगस्त में शुरू होगा। यूजीसी के अध्यक्ष, प्रो एम जगदीश कुमार ने आयोग द्वारा की गई डिजिटल पहल द्वारा पेश किए गए पाठ्यक्रम और पाठ्यक्रमों के बारे में विस्तार से बताया।
प्रोफेसर कुमार के अनुसार, सांविधिक निकाय प्रोफेसर्स ऑफ प्रैक्टिस (पीओपी) नीति के तहत शैक्षणिक संस्थानों को उद्योग के विशेषज्ञों से जोड़ेगा। यह उम्मीदवारों को उद्योग में सर्वश्रेष्ठ से सीखने की अनुमति देगा। पीओपी के माध्यम से, छात्रों को भौतिकी, राजनीति विज्ञान, कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग जैसे विभिन्न उद्योग क्षेत्रों के विशेषज्ञों द्वारा प्रदान किए गए ज्ञान का अनुभव मिलेगा।
यूजीसी ने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना मंत्रालय के साथ भी साझेदारी की है तकनीकी इन कौशल पाठ्यक्रमों को देश के भीतरी इलाकों और दूरदराज के कोनों में प्रदान करने के लिए। सांविधिक निकाय सामान्य सेवा केंद्रों (सीएससी) और विशेष प्रयोजन वाहनों (एसपीवी) का उपयोग उन छात्रों तक पहुंचने के लिए करेगा जिनके पास डिजिटल उपकरणों तक पहुंच नहीं है। वर्तमान में, देश भर में पांच लाख सीएससी और एसपीवी हैं।
यूजीसी के अध्यक्ष ने यह भी बताया कि आयोग ऑनलाइन पाठ्यक्रमों और उसके बाद आने वाली सभी समस्याओं को हल करने के लिए एक ई-समाधान पोर्टल लॉन्च करेगा। ई-समाधान पाठ्यक्रम। ई-समाधान पोर्टल 5 सितंबर से लागू कर दिया गया है और यह 24 घंटे काम करेगा।
पोर्टल छात्रों को होने वाली सभी समस्याओं के लिए सिंगल विंडो प्रदान करेगा। छात्रों से संबंधित मुद्दों को अधिकतम 10 कार्य दिवसों में हल किया जाएगा। टीचिंग और नॉन टीचिंग की समस्या 15 दिन में जबकि यूनिवर्सिटी व कॉलेज से जुड़े मामले 20 दिन में हल करने होंगे।
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